Friday, July 2, 2010

Risthey

कुछ रिश्ते तोडे टूट ते नहीं
कुछ धागे कमज़ोर ही सही बन्द्ये रहते हैं
कुछ यादें आँखों से ओझल ही सही
पलकों में सदा क्यों बसे रहते हैं ?





कुछ वादे रिश्ते सदा निभाते हैं
कुछ रिश्तो से निभाए गए वादों से हम अचंबित रहते हैं
कुछ वादे  निभाने वाले भूल जाते अपनों को
कुछ निभाए वादों से रिश्ते बन जाते हैं

कुछ रिश्तो के एहसास हर पल खास हैं
कुछ रिश्तो से हमेशा होती एक आस हैं
कुछ रिश्ते नाम के होकर रह जाते हैं
लेकिन कुछ रिश्तो की मौजूदगी जैसे धुप में बरसात होती हैं

कुछ जुडे तार अनकही रिस्तो से होते हैं
किसी के दोस्ती तले छुपी कोई और बात होती हैं
कुछ रिश्तो को समज ने में अरसा लग जाता हैं
कुछ रिश्तो को जान ने से भी पहले  एक अटूट विश्वास होता हैं

कुछ रिश्तो की यादो में एक मीठी सी महक होती हैं
कुछ रिश्तो में सिमटी कुछ खुशियाँ खास होती हैं
कुछ लोग भुलाने की बातें करते हैं
पर कैसे कोई कहे  उन  रिस्तो की महक से यह ज़िन्दगी कितनी हसीं होती हैं

इन रिश्तो की तजुर्बे से आगे बदना सिखा हैं हमने
इन रिश्तो के पेचीदे रास्तो में चलना सिखा हैं हमने
उनका एहसास बचपन से अब तक करते हैं हम
क्योंकी इन रिश्तो से ही जीना सिखा हैं हमने और तुमने!

- किरण हेगड़े

14 comments:

  1. Hey Dost ... It's Very very nice .... :)

    ReplyDelete
  2. Hey.... It's very very nice.... i like 3rd,4th and 5th Para ...

    ReplyDelete
  3. I know you over Coffe time, but never thought you can speak or think so deeply or there will be so much depth in your thoughts and feelings.
    Nice writing, just ensure spellings little
    Keep writing good poems like this

    ReplyDelete
  4. Thanks Veni! :)
    Pls do let me know about the spelling mistakes :D

    ReplyDelete
  5. GOOD job kiran..awesome piece of work...
    u write well :)

    ReplyDelete
  6. Thanks Nimisha!
    Btw I have never seen u blog in Infy.
    Your blog is too cool!

    ReplyDelete
  7. Gr8 work Kiran. I dint know you write poems!

    ReplyDelete
  8. Beautifully written,Kiran! :)

    ReplyDelete
  9. Very Nice!!! Keep writing...you might get the 'Most Brilliant Poet' of current times :-)

    ReplyDelete
  10. Omg thats too sweet of you Kaustabh! thanks man

    ReplyDelete
  11. Great poem again! Keep writing! You have a beautiful talent. Nurture the sapling, and grow it like a gardener. One day you will be proud of the tree and some days you can enjoy it's shade when sun gets too hot.

    ReplyDelete
  12. Thanks Deepak Anna for the beautiful words and Wishes! As you already know this was inspired by your Risthey Poem :)

    ReplyDelete

Please feel free and let me know what you think! Keep coming back!!