घर बैठे बारिश की आवाज़ न सुन
बहार भीग के तो देख मज़ा हैं क्या !
किताबो के कवर को देख के क्या होगा
उन पन्नो को पड़के तो देख मज़ा हैं क्या !
किनेरे बैठके पानी को देखने में क्या हैं
दुबकी लगा के तो देख मज़ा हैं क्या !
दोस्ती की बातें करने में क्या हैं
दोस्ती निभा के तो देख मज हैं क्या
जेहेन में क्वाबो को छुपाने में क्या हैं
इन को हकीकत में बदल के तो देख मज़ा हैं क्या
ऐसे आलस करने से क्या मिलेगा
मेहनत करके तो देख मज़ा हैं क्या !
किसी की निंदा में वक़्त क्यों गुज़रे
आगे बड़ के तो देख मज़ा हैं क्या !
किसी की कमी निकालने में कोई बड़ी बात नहीं
पर कुछ बन के तो देख मज़ा हैं क्या !
किसी को पीछे छोड़ने की बातें क्यों करते हैं लोग
- किरण हेगड़े
बहार भीग के तो देख मज़ा हैं क्या !
किताबो के कवर को देख के क्या होगा
उन पन्नो को पड़के तो देख मज़ा हैं क्या !
किनेरे बैठके पानी को देखने में क्या हैं
दुबकी लगा के तो देख मज़ा हैं क्या !
दोस्ती की बातें करने में क्या हैं
दोस्ती निभा के तो देख मज हैं क्या
जेहेन में क्वाबो को छुपाने में क्या हैं
इन को हकीकत में बदल के तो देख मज़ा हैं क्या
ऐसे आलस करने से क्या मिलेगा
मेहनत करके तो देख मज़ा हैं क्या !
किसी की निंदा में वक़्त क्यों गुज़रे
आगे बड़ के तो देख मज़ा हैं क्या !
किसी की कमी निकालने में कोई बड़ी बात नहीं
पर कुछ बन के तो देख मज़ा हैं क्या !
किसी को पीछे छोड़ने की बातें क्यों करते हैं लोग
किसी को नीचे खीचते क्यों हैं लोग
प्रोत्साहित करके तो देख मज़ा हैं क्या !
किसी के पीट पीछे बुराई क्यों करते हैं लोग
किसी को सुधार के तो देखे मज़ा हैं क्या
अपने सामने तो तारीफ तो सभी करते हैं
पित पीछे तारीफ करे ऐसा कुछ करके तो देखे
मज़ा हैं क्या !
- किरण हेगड़े
Maaza aa gaya....Good one!
ReplyDeleteThank you :)
ReplyDeleteNice 1.... n agree 2 it.
ReplyDeleteThanks Rajani :)
ReplyDeleteWow thats was very nice thoughts, I like your poetry more than writeups :)
ReplyDeleteHi Veni, thanks for you feedback, It inspires me to write more :)
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